पीसीओएस होने पर महिलाओं को गर्भधारण में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है । उचित देखभाल व आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट के साथ पीसीओएस का सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है और महिला गर्भधारण में सक्षम हो जाती है । आयुर्वेद में हर बीमारी का उचित इलाज होता है और सबसे बड़ी बात इन ओषधियों का कोई साइड इफेक्ट्स भी नही झेलना पड़ता । वास्तव में तो आयुर्वेद में ओषधियों के साथ साथ स्वस्थ जीवन शैली को अपनाने की सलाह दी जाती है जो किसी भी बीमारी में बहुत जरूरी है । आइये जानते हैं आयुर्वेद में पीसीओएस की प्रॉब्लम का इलाज का क्या नजरिया है । पीसीओएस यानी पॉलिसिस्टिक ऑवरी सिंड्रोम जो हार्मोन्स की गड़बड़ी का नतीजा है । आयुर्वेदिक औषधियों के साथ इन 12 तरीकों को अपनाकर हम पीसीओएस से निजात पा सकते हैं। तो चलिए जानते हैं
पीसीओएस आयुर्वेदिक उपचार ( Pcos Treatment In Ayurveda ) :-
1. जीवन शैली में बदलाव - आधुनिक भागदौड़ भरी और तनाव भरी जिंदगी में इंसान को दो पल भी आराम नहीं होता है । ऐसे में वह अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह हो जाता है आज महिलाएं घर और ऑफिस दोनों मोर्चा संभाले हुए हैं। इससे वह भागदौड़ भरी जिंदगी में अपने स्वास्थ्य के प्रति बिल्कुल ही लापरवाह हो जाती है । फलस्वरूप वह कई बीमारियों की पकड़ में आ जाती है उन्हीं में से एक होती है pcos (पीसीओएस) जो ज्यादातर युवावस्था में ही हो जाती है पर समय पर उचित इलाज नहीं होने के कारण आगे जाकर गर्भधारण में समस्या खड़ी कर देती है। इसलिए pcos होने पर अपने जीवन शैली में बदलाव लाना जरूरी है समय पर सोना भरपूर नींद लेना बहुत आवश्यक है ।
2. तनाव से दूर रहे - तनाव के कारण हम कभी-कभी डिप्रेशन में भी चले जाते हैं और अपने स्वास्थ्य का पूरा ध्यान नहीं रख पाते हर समय मस्तिष्क में तनाव रहने से सर भारी रहता है वह और शरीर पूरी तरह सुस्त हो जाता है तनाव के कारण नशीली चीजों का सेवन करने से भी आदमी परहेज नहीं करता जिसका असर गर्भाशय पर भी पड़ता है ।
3. सक्रिय और क्रियाशील रहें - क्रियाशील रहने से शरीर में स्फूर्ति का संचार होता है और मोटापा नहीं रहता हम सक्रिय होकर घरेलू कार्य करने से शरीर की अच्छी वर्जिश हो जाती है अच्छी एक्सरसाइज हो जाती है और शरीर में फिटनेस कायम रहती है ।
4. डॉक्टर से राय - समय- समय पर मेडिकल चेकअप कराना बहुत जरूरी होता है डॉक्टर से ही हमें ओवलुसन के सही समय का पता लगाया जा सकता है कि गर्भधारण के लिए कौन सा सही समय है ।
5. क्रोमियम और मैग्नीशियम का निम्न स्तर :- क्रोमियम और मैग्नीशियम के निम्न स्तर होने के कारण बांझपन हो सकता है इसलिए इन दो आवश्यक खनिजों से परिपूर्ण आहार लेनी चाहिए ।
6. पोष्टिक आहार - पीसीओ से ग्रस्त महिला को पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए अपने आहार में हरी सब्जियां फल व दूध को प्रमुखता देनी चाहिए । पौष्टिक आहार लेने से शरीर निरोगी बनता है । बलिष्ठ व हष्ट-पुष्ट बनता है । pcos की बीमारी में संतुलित आहार से काफी फायदा मिलता है
7. इन्सुलिन की मात्रा को संतुलित करें :- बॉडी में ग्लूकोज की मात्रा को कम करें अपने आहार में ज्यादा मीठे पदार्थों का प्रयोग ना करें इससे शरीर में इंसुलिन की मात्रा संतुलित रहेगी ।और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी ।
8. विटामिन डी का इलाज - विटामिन डी से हड्डियां मजबूत बनती हैऔर शरीर ऊर्जावान बनाता है। सूर्य की किरणों में भरपूर विटामिन डी होता है जो हमारे शरीर के लिए बहुत लाभदायक होता है।
9. इन विट्रो फर्टीलाइजर :- यह एक महंगा इलाज है पर जो महिला pcos से ग्रसित है और बचा कन्सीव करना चाहती है वो इस विधि से लाभ प्राप्त कर सकती है । यह ट्रीटमेंट प्रमुख अस्पताल में उपलब्ध रहता है ।
10. एक्यूपंचर - एक्यूपंचर प्रक्रिया में जो मांसपेशियां अंडाशय से जुड़ी हुई होती है उनमें सुईया डाली जाती है फिर इन बिंदुओं को कम आवृत्ति वाले विद्युत आवेश से प्रेरित किया जाता है । इससे मासिक चक्र नियमित हो जाता है और यह टेस्टोस्टेरोन के स्तर को भी कम करता है । जिन महिलाओं का मासिक चक्र अनियमित होता है उनको इस क्रिया द्वारा बहुत ज्यादा लाभ मिलता है ।
11.ओमेंग 3 शामिल करें - अपने खान पान में ओमेंग 3 शामिल करने से ये pcos से ग्रसित महिलाओं में कोर्टिसोल के स्तर को कम करता है और प्रजनन क्षमता को बढ़ाता है। अंदरूनी ताकत बढ़ने से शरीर रोगमुक्त होकर प्रजनन के लिए तैयार हो जाता है ।
12. सुजाक रोग का इलाज - गर्भाशय में किसी भी जगह सूजन होने से बच्चा कन्सीव करने में बहुत दिक्कत होती है गोनोरिया भी एक सुजाक रोग है जो यौन संक्रमण से होता है इससे निषेचन की प्रक्रिया रुक जाती है और औरत माँ बनने से वंचित रह जाती है ।गोनोरिया का इलाज सही समय करना बहुत जरुरी होता है ।
यदि आप पीसीओएस की प्रॉब्लम से परेशान हैं तो आप हमारे आशा आयुर्वेदा सेंटर दिल्ली से सम्पर्क कर सकते हैं । सम्पर्क सूत्र :- 9811773770
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